गुरुवार, सितंबर 14, 2023

⏲️ वक्त के साथ ⏲️









अधूरी ख्वाहिशों की दीवानी है

इन धड़कनों में तेज रवानी है।


सुख की छाँव या गम की धूप

हर हाल में हमें तो निभानी है।


वक्त के साथ चल दिये तो लगा 

जिन्दगी कुछ जानी पहचानी है।


करीब होकर भी दूरियाँ दरमियां

बात छोटी पर आँखों में पानी है।


जिम्मेदारियां कह रही रहने दे 

मन में पर बाकी थोड़ी नादानी है।


बुला रही आवाज़ की गूंज नई

लगता है जैसे दस्तक पुरानी है।


बेपरवाह ये ज़माने भर से रही

सबसे जुदा 'तेरी मेरी कहानी' है।


मुक़म्मल कभी होगा ये किस्सा या 

बेमतलब हो 'आस' किसने जानी है।


✍️ शैली भागवत 'आस' ( इंदौर, मध्य प्रदेश )

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