धन्य हैं हम भारतवासी
जिस वसुधा पर निवास करते
जहाँ ऋतुएँ हैं क्रमबद्ध आती
जिनमें है एक वर्षा ऋतु
वर्षा हो या बरसात का मौसम
होता बड़ा सुहाना
आसमान में छाए बादल
उमड़-घुमड़ कर बरसाया बादल
बिजली रानी की गर्जन-तर्जन है
काँप उठा है सारा वातावरण।
पवन दौड़ कर भागी चहुँ ओर
पेड़-पौधे है झुक रहे हैं
घन छाए मन के मीत
मिलन की बेला आई
अनंत दिशा से आए बादल
जल की बूँदें लाए बादल
झमझम जब होती बारिश
सबका मन हर्षाती बारिश।
सावन, भादों का महीना होता
बरसात ऋतुओं की रानी कहलाती
ज्येष्ठ की गर्मी से हमें राहत दिलाती
तपिश धरती की प्यास बुझाती
जिससे चारों ओर फैली अद्भुत हरियाली
जब यह अपना कहर दिखाती
लोगों की शामत आ जाती।
बाढ़ का नजारा देखने को मिलता
चारों ओर हाय-तौबा मच जाती
इसका खेल है निराला
कभी कम तो कभी ज्यादा
बारिश के बाद जब आसमान में
इंद्रधनुष निकलता मन मयूर नाच उठता
बचपन की याद आती
जब बहाते थे कागज की नाव बनाकर बारिश में
दिल नही रहता अपने वश में
बारिश की मज़ा लेने मचल उठता है मन।
बरसात की रातें होती अंधेरी
मेंढक की टर्र-टर्र और
झींगुर की आवाज़ है शोर मचाती
आया-आया बरसात का मौसम
अपने संग खुशियाँ लाया
कृषकों के चेहरे पर छाई खुशी
अब खेतों में होगी रोपनी
बरसात का मौसम आया
अपने संग हरियाली लाया।
✍️ पूनम लता ( धनबाद, झारखंड )
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