रविवार, जुलाई 16, 2023

⏲️ समय का समीकरण ⏲️









बदल जाते हैं

समय के साथ

बड़े-बड़े समीकरण

अब तो समय के साथ 

बदल जाती हैं 

पत्थर की लकीरें भी…


टूट जाते हैं

वो रिश्ते

बिछड़ जाते हैं

वो हमकदम

जिनको मनुष्य मानता है

अपने सुख की हँसी

और दुःख की

मुस्कुराहट…


जो हर क्लेश हर लें

खो जाते हैं

वो नाते-रिश्ते

समय के वीराने में

निगल जाता है सबको

समय का अजगर…


निशान तक मिट जाते हैं

उन कदमों के उन पैरों के

जो हृदय की पगडंडी पर

अंकित होते हैं 

अमिट छाप की तरह

वो निशान जिनको 

मनुष्य मानता है

अपना विश्वस्त साथी…॥


✍️ भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...