तुम अपने आप समझ जाना
सारी परेशानी मेरी
कहनी ना पड़े मन की व्यथा
सारी कहानी मेरी
आंसू गिरे जब कभी मेरे
तुम्हारी हथेली पर ही गिरे
मिल जाए सुकून मुझे
बस साथ से तेरे
जब देखूं तुझे तो
मुस्कुरा दूं गुस्से में
तेरा जिक्र कर दूं मैं
अपने हर किस्से में
किसी मुकाम पर आकर
तेरे कांधे में सर रख लूं
खुल कर हस लूं
और जी भर रो लूं
मेरी खामोशी को
तुम खुद से पढ़ लेना
कभी बिन बात के भी
मुझसे तुम लड़ लेना
मेरे एहसास को
खुद से ही समझ लेना
दिल की बात को
तुम ही मुझसे कह देना
चाहे जो भी
कोई सवालात न करना
मेरे बारे में कोई बात
मुझसे ना करना
✍️ डॉ. मनीषा तिवारी ( नर्मदापुरम, मध्य प्रदेश )
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