पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा महिला रचनाकार शख्सियतों के उत्साहवर्धन हेतु एवं उनके मन के भावों को आदर देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन महिला रचनाकार प्रशस्ति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें महिला रचनाकार शख्सियतों को दस अलग-अलग विषयों के विकल्प देकर उनमें से किन्हीं दो विषयों का चयन करके उन विषयों पर आधारित रचनाएं लिखने के लिए कहा गया। इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग राज्यों की महिला रचनाकार शख्सियतों ने भाग लिया। जिन्होंने दिए गए विषयों पर आधारित एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर कार्यक्रम की शोभा में चार चाँद लगा दिए और कार्यक्रम को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस कार्यक्रम में भारती राय (नोएडा, उत्तर प्रदेश), शरनजीत कौर (विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश) और स्मिता प्रसाद दारशेतकर (पणजी, गोवा) की रचनाओं ने समूह का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। कार्यक्रम में सम्मिलित विशिष्ट महिला रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत महिला रत्न' सम्मान देकर सम्मानित तथा उभरती महिला रचनाकार शख्सियतों को 'पुनीत प्रतिभा' प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उनका उत्साह बढ़ाया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने कार्यक्रम में सम्मिलित रचनाकार शख्सियतों द्वारा प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया तथा सम्मानित महिला रचनाकार शख्सियतों को उज्ज्वल साहित्यिक जीवन की शुभकामनाएं दी। उन्होंने हिंदी रचनाकारों को समूह द्वारा आयोजित होने वाले ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सवों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया। इस कार्यक्रम में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम शरनजीत कौर, भारती राय, संयुक्ता त्यागी, स्मिता प्रसाद दारशेतकर, पुष्पा श्रीवास्तव, मीता जोशी, मधु श्रीवास्तव रचनाकारों के रहे।
रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
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पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...
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