यह वक्त भी
कितना बेरहम होता है
कभी एकदम सख्त तो
कभी नरम होता है
वक्त के साथ चल पाना
बड़ा मुश्किल है यारों
वक्त कभी जख्म देता है तो
कभी जख्म का मरहम होता है
वक्त सही हो तो
हमारा हमदम होता है
वक्त पलट जाए तो
गम ही गम होता है
वक्त को मुट्ठी में
पकड़ सकते नही हम
वक्त देखने में भले मोती हो
पर फूलों पर गिरा शबनम होता है
✍️ संध्या शर्मा ( पटना, बिहार )
बेहद खूबसूरत कविता
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