पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में ऑनलाइन 'हिंदी दिवस साहित्यिक महोत्सव' का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'हिंदी का महत्व' रखा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने हिंदी भाषा के महत्व तथा विशेषता पर आधारित अपनी बेहतरीन रचनाओं को प्रस्तुत कर हिंदी भाषा के प्रति अपने अटूट स्नेह एवं आदर भाव को प्रकट किया तथा महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। महोत्सव में भारती राय ( नोएडा, उत्तर प्रदेश ) तथा रंजन लाल 'बेफिक्र' ( इंदौर, मध्य प्रदेश ) की रचनाओं ने समूह का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। इस महोत्सव में सम्मिलित प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत हिंदी रत्न' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने हिंदी भाषा तथा हिंदी भाषा के विद्वानों को कोटि-कोटि नमन करते हुए समस्त देशवासियों को हिंदी दिवस की बधाई व शुभकामनाएं दी और लोगों को हिंदी भाषा को हृदय से अपनाने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ ही उन्होंने महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया और समूह द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न ऑनलाइन साहित्यिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिए हिंदी रचनाकारों को सादर आमंत्रित भी किया।
रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjpF5dcMgycu4Z3yajZOMYW2wpb4fCgYEvbo8BXkhVG_VY_oB2yC6ml71pz-BvJsDiybhiKFnlxu3GwWlR2hfK1ABFKcc6z_uy3oqxZZXnPWgNvhhdIeF4x1RS5RoA20T-A4vv2FXXdxZdLb2qKZxugNQPFUJbsmazErMA9q6a3_CJizjopmVdOnD-jgGpZ/s320/IMG_20240321_165746.jpg)
-
बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
-
जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
-
हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें