पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा शारीरिक अंगों के महत्व, विशेषता तथा उपयोगिता को दर्शाने के लिए ऑनलाइन काया विशेष साहित्यिक महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका 'विषय - काया है विशेष' रखा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया। जिन्होंने एक से बढ़कर एक बेहतरीन शरीर के अंगों के महत्व तथा विशेषता पर आधारित रचनाओं को प्रस्तुत कर ऑनलाइन काया विशेष साहित्यिक महोत्सव में चार चाँद लगा दिए। इस महोत्सव में सम्मिलित प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत साहित्य गौरव' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने मानव की काया को ईश्वर का सबसे अनमोल उपहार बताते हुए काया के समस्त अंगो का ध्यान रखने के लिए लोगों को प्रेरित किया और महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि समूह आगे भी इसी तरह से अपने सामाजिक दायित्व की पूर्ति हेतु ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सव आयोजित करता रहेगा तथा नए रचनाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए ऑनलाइन साहित्यिक मंच उपलब्ध करवाता रहेगा। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम भारती राय और रंजन लाल 'बेफिक्र' रचनाकारों के रहे।
रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
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पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...
बहुत बहुत धन्यवाद आभार आपका 😊😊🌹🌹💐💐
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