पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन स्वतंत्रता दिवस साहित्यिक महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'स्वतंत्रता का महत्व' रखा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया जिन्होंने दिए गए विषय पर आधारित एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा दिए और महोत्सव को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन 'पुनीत राष्ट्र गौरव' सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने सभी रचनाकारों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह इसी तरह आगे भी ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सवों के माध्यम से राष्ट्रीय पर्वो तथा भारतीय सभ्यता-संस्कृति से जुड़े विभिन्न पर्वो को मनाता रहेगा और नए रचनाकारों को साहित्यिक मंच उपलब्ध करवा के साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता रहेगा। उन्होंने महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया और साथ ही समूह द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न ऑनलाइन साहित्यिक कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए हिंदी रचनाकारों को सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम प्राप्ति सिंह, भारती राय, सम्पदा ठाकुर, सुप्रिया सिन्हा रचनाकारों के रहे।
रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjpF5dcMgycu4Z3yajZOMYW2wpb4fCgYEvbo8BXkhVG_VY_oB2yC6ml71pz-BvJsDiybhiKFnlxu3GwWlR2hfK1ABFKcc6z_uy3oqxZZXnPWgNvhhdIeF4x1RS5RoA20T-A4vv2FXXdxZdLb2qKZxugNQPFUJbsmazErMA9q6a3_CJizjopmVdOnD-jgGpZ/s320/IMG_20240321_165746.jpg)
-
बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
-
जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
-
हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें