मंगलवार, फ़रवरी 22, 2022

⏲️ वक्त हो अपना ⏲️








वक्त कभी अपना,

कभी बेगाना-सा,

वक्त के संग मिला दो अपना सुर, लय, ताल,

जीवन संगीत सुरमई सरगम सा हो जाएगा।


वक्त के संग मुस्कुराना,

वक्त पर वक्त की परवाह करना,

गम दर्द में भी खिलखिलाकर हंसना सीखाएगा,

वक्त मेहरबान होगा तो जीना आसान हो जाएगा।


खुशी की शीतल छांव वक्त कभी,

गम की झुलसाती तेज धूप कभी,

जैसा वक्त होगा, अपने आपको जो ढाल देगा,

जीवन सफल, सार्थक उसी का हो जाएगा।


वक्त की नजाकत जो जान लेगा, 

वक्त बर्बाद न कर आगे बढ़ेगा,

वक्त की धारा को अपने हौसले से जो मोड़ देगा,

जग में जगमग प्रकाश ज्योत सा जगमगायेगा।


वक्त के साथ संभलकर चलो,

अपना मिजाज बदल आगे बढ़ो,

जिंदगी की जंग मानो सुहास, जीत ली उसने,

विजयपथ-सी जीने की राह खोज ली उसने।


वक्त पर काम आए, वह अपना,

वक्त अपना शुभ भाव ले आये,

वक्त न थमेगा, न रुकेगा, राही, साथ चलना हैं,

जीवन बहार की मुस्कुराहट का यह तराना हैं।


✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )



1 टिप्पणी:

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...