ऐ वक्त, तुझसे बस
इतनी सी मेरी गुज़ारिश है ....
ग़म के पलों में भी
उतनी ही देर ठहरना
अगले पलों में खुशियों को
जी भर महसूस कर सकें....
वक्त लगता है
रिश्तों को समझकर
साथ-साथ रहकर
साथ निभाने में.....
कहीं वक्त लगता है
दूरियों को नज़दीकियों
और नज़दीकियों को
दूरियों में बदलने में....
ख़बर है वक्त के पहले
कुछ नहीं मिलता है
और वक्त के गुज़रते ही
दोबारा कुछ नही बदलता है...
लम्हा-लम्हा जुड़कर भी
दो पल कही ठहरता नहीं
टूटते जुड़ते लहरों से उफ़नते
वक्त यहीं से गुज़रता है...
✍️ चंचलिका शर्मा ( वडोदरा, गुजरात )
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