वक्त का क्या है वो तो गुजर ही जाता है,
वक्त गुजरने से पहले जो संभल जाता है।
जीवन में फिर वो आगे निकल जाता है,
वक्त के अनुसार जो खुद को ढाल लेता है।
जैसे बच्चा खेल में मिट्टी मुँह मे डाल लेता है,
वैसे ही वो हर मुश्किलों को निगल जाता है।
वक्त कभी नहीं रुकता अच्छे अच्छों को झुकाता,
वक्त गुजरने से पहले जो संभले वो आगे बढ़ जाता।
इतिहास गवाह है वक्त गुजरने के बाद कुछ ना पाया,
वक्त गुजरने से पहले जो चला उसी ने है नाम कमाया।
वक्त से पहले न किसी को कुछ मिला न भाग्य से ज्यादा,
तन-मन से जो मेहनत करेगा वही नया इतिहास रचेगा।
वक्त का महत्व क्या ये तो आने वाला वक्त बताएगा,
होगा हौंसला जिसमें वही अपने सपनो को पाएगा।
इसलिए सदा वक्त का करो मान यदि पाना है सम्मान,
वक्त के साथ कदम बढ़ाकर जीवित रखो स्वाभिमान।
✍️ सावित्री मिश्रा ( झारसुगुड़ा, ओड़िशा )
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