रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
बुधवार, फ़रवरी 16, 2022
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय साहित्यिक महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार 'पुनीत कलम स्नेही' सम्मान से सम्मानित।
पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा वैलेंटाइन डे के उपलक्ष्य में ऑनलाइन 'स्नेह ध्येय साहित्यिक महोत्सव' का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'स्नेह की डोर' रखा गया। इस महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया, जिन्होंने एक से बढ़कर एक स्नेह से संबंधित और प्रेम रस में डूबी हुई अपनी बेहतरीन रचना प्रस्तुतियों के द्वारा मंच को स्नेह वर्षा में भिगोकर महोत्सव की शोभा में चार चाँद लगा दिए। कुछ प्रतिभागी रचनाकारों ने रचनाओं के माध्यम से रिश्तेदारों के प्रति अपने स्नेह को प्रकट किया। इस महोत्सव में कुसुम अशोक सुराणा (मुंबई, महाराष्ट्र), निरूपमा बिस्सा (दुर्ग, छत्तीसगढ़) और अनुराधा प्रियदर्शिनी (प्रयागराज, उत्तर प्रदेश) की रचनाओं ने सभी का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। इस महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन "पुनीत कलम स्नेही" सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने समस्त देशवासियों को वैलेंटाइन डे की शुभकामनाएं दी और महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया। उन्होंने समूह द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न ऑनलाइन साहित्यिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिए हिंदी रचनाकारों को सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम कुसुम अशोक सुराणा, चंचल जैन, संध्या रामप्रीत, मंजू शर्मा, सुनीता सोलंकी 'मीना', बबीता, अनुराधा प्रियदर्शिनी, अर्चना मुकेश मेहता, सावित्री मिश्रा, निरुपमा बिस्सा रचनाकारों के रहे।
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पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...
Bahut bahut badhai Nirupam ji
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
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