दान-पुण्य की परंपरा का सत्कार करो
थोड़ा ही सही पर कुछ दान करो
ठंड पीक पर आन चढ़ी
गंगा तट साधुओं की भीड़ बढी
हर-हर नाम की डुबकी लाकर
खाओ, प्रभु को भोग लगाकर
गरम चीजों का जलपान करो
थोड़ा ही सही पर कुछ दान करो
साधु तपस्वी और मुनि सब
बाह्म मुहूर्त में स्नान करते
गृहस्थ जीवन में लीन तुम
झंझटों में हो तल्लीन तुम
पवित्र दिन पर सब स्नान करो
थोड़ा ही सही पर कुछ दान करो
दिन भर काम करने वालों को
बिन कपड़े फिरने वालो को
कुछ ऊनी वस्त्र करो अर्पित
ठंडी से देह जिनकी है कंपित
ठिठुरतों को कम्बल भेंट करो
थोड़ा ही सही पर कुछ दान करो
मकर संक्रांति अनूठा पर्व
आज से होता सूर्य उत्तरायण
बुजुर्गों को मनाने का त्यौहार
तोहफ़ा देकर रिझाएं हर बार
मातृ शक्तियों को प्रणाम करो
थोड़ा ही सही पर कुछ दान करो
सूर्य देव को करो नमन
रूठो के संग करो मिलन
सास ससुर को देकर मान
दो उनको जरूरत का सामान
सभी रूठों से मानमनुहार करो
थोड़ा ही सही पर कुछ दान करो
जीवन मे बदलाव काफी
इसमे गति चाहिए मिलनी
गति तभी रह सकेगी जारी
जब लाओगे संतुलन भारी
अपनी गति को इक समान करो
थोड़ा ही सही पर कुछ दान करो
हम अपने ध्रुव पर रहे टिके
बेहतर दिशाओं की ओर बढ़ें
यही संक्रांति यही है मिलन
यही गति करें जीवन संचलन
गति के उत्सव का गान करो
थोड़ा ही सही पर कुछ दान करो
✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुन्दर कहन
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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