ये खिड़की रोज सुबह
मन को आनंद विभोर
कर देती है
जब सूरज की
पहली किरण
चहरे को छूकर
प्यार से सहलाती है
तो अनायास ही
माँ याद आती है
एक सुकून भरी
मुस्कान और
चिड़ियों की
चहचहाहट के साथ
जब हम अपनी
आँखे खोलते है
और देखते है
ये नीम का पेड़
अपने पत्तों को
यूँ हिलाता है जैसे
माँ आपना आँचल
झल रही हो हम पर
सच में हर रोज
सुबह का ये आलम
हमारे सारे दिन को
ऊर्जावान बनायें
रखता है और एक
सुकून भरी ज़िंदगी
जीने को सदैव
उत्साहित करता है
✍️ संध्या रामप्रीत ( पुणे, महाराष्ट्र )
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