जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है,
उस दिन पृथ्वी पर मकर संक्रांति मनाते
आज पर्व है मकर संक्रांति का,
गंगा तट पर भीड़ खड़ी साधु-संतो
कोई गंगा में डुबकी लगाने को आतुर,
कोई सूर्य देव को नमन कर रहा,
कोई पंतग उड़ा रहा,
कोई तिलकुट से मुँह मीठा कर रहा,
ईश्वर से हाथ जोड़कर करो प्रार्थना,
सभी का कल्याण हो।।
सब सूर्योदय का स्वागत करते हैं,
सच्चे मन निष्ठा से सभी पूजा-प्रार्थना में,
सूर्य देव को शा
सूर्य देवता सौरमंडल के मालिक हो तुम,
सब के ऊर्जा के प्रतीक हो तुम,
तेरी रोशनी से पृथ्वी पर सोना उ
तुम्हारी रोशनी से रोशन है घर संसार।।
पंछी के कलरव शोर मचाते हैं,
चमन में फूलों की कली,
मुस्कान लिए खिल-खिल जाती हैं,
धरती माँ पर सोलह श्रृंगार शोभित हैं,
दिनकर तुम्हीं से।।
उदित भास्कर भी मन ही मन हर्षित
उषा की किरण आभा बिखेर रही,
ब्रह्मांड को प्रकाशमय से प्रदी
संसार में प्रेम प्रकाशित करते हो,
हर हृदय में स्नेह भाव से,
सभी को गले लगाते और बाँहों में भरते हो,
सभी मिलकर साथ चलें,
अपनी-अपनी मंज़िल पाने सूर्य तेरे संग।।
गोधूली बेला पर सूर्यास्त हो रहा,
भास्कर धानी रंग चूनर ओढ़े,
तपस्वी तपस्या से लौट रहे हैं,
पंछी भी अपने नीड़ में प्रवेश क
चंद्रमा को भी सूरज ढलने का इं
तारें भी सज-धज कर प्रतीक्षा कर
✍️ अर्चना वर्मा ( क्यूबेक, कनाडा )
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