सोमवार, दिसंबर 06, 2021

🎈 दिल 🎈


इतना गहरा दिललाल रंग से रंगा
कितना कोमल, कितना नाज़ुक
अपने में ना जाने कहाँ शिकायत रखता है।
इतना कैसे संभलता है ये दिल
प्रेम से कोई दिल में झाँके तो यूँ स्नेह बरसाता है।
इतनी हसरतेंदिली ख़्वाहिश 
अरमां,
जो दिल में रहा उस पर भी अमल करता है।
इतने घबराहट में जब  दिल तुम होते हो
परेशान माथे पर पसीना आता है।
इतनी बेचैनी से दिल होता व्याकुल,
और मन चारों ओर घर में चहल दमी करता है।
इतनी मिन्नतें माँगते ईश्वर से,
तुम हर वक्त सलामत रहना
तुम  जीवन की साँसें क़ायम रहती है
इतनी सी ख़ुशियों पर दिल खोलकर हँसता हैं मनऔर अपनी मौजूदगी बताता है।
इतने ग़मों की परछाईं पर दिल जार-जार रोता हैं,
और दोस्त बन सा भी निभाता है।
इतने मोहब्बत से दिल में हर पल,
धड़कते धड़कनएक दूसरे के प्रे का आभास कराता है।
इतने में दिल ने हिम्मत की
होंठों ने बातों को अनसुनी की
दिल ने होंठों को समझायाखुद हृदय इज़हार करता है 
इतनी लगन लगी हृदय से हर पल,
इंतज़ार संग प्यार करते
मधुर पल के रिश्ते तो दिलों का दर्पण होता है।
इतने से आहट पर इंतज़ार में,
हृदय धड़कती जीवन में रंग बहार का लाता है।
इतने से कुछ पल जब तुम उदास रहते
जिया व्याकुल होता और तन सालों,
बीमार सा कमजोर लगता है।
इतना अहंकार दिल में कभी मत पालो,
अभिमान की नाव हमेशा डूबती है
इतना सारा राज छुपाता छोटा सा मासूम दिल, बेचारा अपने में सब मेटता है।।

 

                       ✍️अर्चना वर्मा ( क्यूबेक, कनाडा )



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...