हे कान्हा ! मेरी सांसों की डोर
बंधी है प्रभु तुम्ही से
है नाता तेरा मेरा सदियों से
सिमरण करूँ तुम्हे दिन रात प्रभु मैं
एक पल कटे ना तुमरे बिन
ये कैसा नाता है कान्हा तेरा-मेरा
ये कैसा रिश्ता है तेरा-मेरा
मैं भक्त तेरी तेरे दर्शन को व्याकुल
कर दो कृपा है जगत के स्वामी
भर दो सबकी झोली खाली
करो उद्धार सभी का
कष्ट मिटाओ जन-जन का
दो सद्धबुध्दि प्राणी जन को
वैर भाव ईष्या, द्वेष मिटाओ
दो हमें सांसारिक मोह से मुक्ति
अब कष्टों से विराम दो कान्हा
सुन लो मेरी अरज बिहारी
✍️ मीता लुनिवाल ( जयपुर, राजस्थान )
सुपर
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