सोमवार, दिसंबर 06, 2021

🎈 काया अनुपम 🎈

सृष्टि के रचयिता परम प्रभु की कलाकारी महती,
बड़े मनो भाव से सृजित की सर्वोत्तम कृति।
नयन बावरे, सुंदर नक्श, लाल चटख अधर,
गाल गुलाबी जैसे गुलाब खिले हो सुंदर।
तन मन अनुपम, हृदय कोमल भाव निर्मल,
मन चंचल, कुशाग्र बुद्धि, अद्भुत कला कौशल।
दिल औ दिमाग करे गलत सही भेद, आकलन, 
बोल पाये बात दिल की, ऐसी हैं मीठी जुबान।
दिल और दिमाग से, संयमित हो आचार व्यवहार,
धर्म संस्कृति की रक्षा करने बाहुबल, उचित संस्कार।
शरीर सौष्ठव, रूप मनोहर, बलशाली मानव रचना,
प्राकृतिक संपदा, धरा गगन, जलधारा, सुंदर विश्व संरचना।
सुंदर मन, सुंदर तन, खिला अल्हड़ बचपन, उल्लसित यौवन,
थरथर कांपे, कदम लड़खड़ाये, चुपके से संध्या का आगमन।
धर्म भावना, जीवदया कर्मणा अंत समय हैं अब आया।
आत्मा शास्वत, शरीर नश्वर, आये न साथ हमारी काया।
छोड़ो लालच, मुक्ति अर्चना, भाव भक्ति साधन,
देह विनाशी, आत्मा अजर अविनाशी, समझे सुधिजन।
जानो महिमा, करे नेत्रदान, अंगदान, देहदान,
जीवन आलोक, जीवन आनंद, देना जीवन दान।

                     ✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )


1 टिप्पणी:

  1. बहुत बढ़िया! अंगदान, देहदान,
    जीवन आलोक, जीवन आनंद, देना जीवन दान।

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