गुजर चला यह साल भी,
कुछ हर बार की तरह,
कभी अच्छा वक्त...
तो कभी बुरा वक्त आया,
पर गुजरता चला गया,
कभी भोर का सुनहरा उजाला,
तो कभी रात की गहनता में,
बीतता चला गया,
कहीं अपनों का संग-साथ मिला,
तो कहीं आवेश में बिखरता चला गया,
कहीं टूटते हौसलों को संबल थमा गया,
तो कहीं कोई अपना हाथ छोड़ गया,
इस कदर यह साल गुजरता चला गया,
कुछ हर बार की तरह....
करोना काल ने जीवन गति,
मद्धिम सी कर दी,
तो कहीं लोगों ने इस काल में भी,
जान की बाजी लगा दी,
है द्वार पर दस्तक दे रहा नया साल...
प्रार्थना करती हूँ कि,
सबका जीवन रहे खुशहाल,
नववर्ष जीवन में ले आए बहार,
छोड़ राग, द्वेष...
हो सबके मन में स्नेह का सागर,
कोई भूखे पेट ना सोए,
जो रिश्ते उधड़ से गए...
उनको सीकर नवरंग फिर भर दे,
नव तेजस भर दे उर में,
आशा का संदेश लिए,
नव विश्वास लिए हिय में,
जनजीवन उल्लास लिए।
✍️ डॉ. ऋतु नागर ( मुंबई, महाराष्ट्र )
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