जिसकी उपयोगिता हर पल बनी है,
वो है गणित।
रोजमर्रा का हिसाब, किताब है गणित,
धरती आकाश की दूरी माप जाती है गणित।
ज्ञान विज्ञान, रासायन हो या कंप्यूटर,
सबकी नींव है गणित।
पल-पल मिनट पहर, दिन रात साल शतक;
सबको बिन संशय, सहेजे हैं गणित।
इसके बिना दिन अधूरा रात ना पूरी,
सूर्य चाँद की ना पाऐं दूरी।
उपयोगिता बनी थी, बनी है,
और रहेगी, हाँ ! जी गणित।
व्यापार जगत की रीढ़ है गणित।
जीव जगत की बीज गणित।
सांकेतिक भाषा मे क्रमबद्द ये जुड़े,
गुण की गुणा करे गणित।
सुख भावों को कई भागों मे,
बाँट खुशी दे जाए गणित।
लघु जीवन के महत्तम को,
रेखांकित कर जाए गणित।
प्रति दिन के उलझन को सुलझा,
जाए अंक गणित।
विस्तरित समस्या के घेरों को,
सूत्रों मे बाँधे बीज गणित।
रेखाओं से घिर-घिरकर,
बनती हैं रेखागणित।
जीवन के हर क्षेत्र मे घूमे,
बन बैठा है सबका मीत।
✍️ नीति झा ( पटना, बिहार )
बहुत खूब
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