छूटे ना पीछे आने वाला इक पल
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक
नववर्ष आगमन पर नव संकल्प
क्या किसी ने चुन लिए विकल्प
आने वाला जब दो हजार बाइस
गत वर्ष की होगी अधूरी ख्वाहिश
अब जबकि वक्त बहुत ही अल्प
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक
बदलेगी तारीख दिन यथावत् रहेंगे
जश्न-ए-नववर्ष इसी हालत रहेंगे
वर्ष दिन महीना वहीं ठहर गया था
कोहराम कैसा कि थम शहर गया था
नये साल में लेते कैसे-कैसे संकल्प
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक
उस साल, नया साल कैसा विकल
अब जबकि वक्त बहुत ही अल्प
नववर्ष मनाने का ना जायज कारण
मनाने वाले मना ही लेंगे अकारण
हर उत्सव फैलाता क्यूँ है नफ़रत
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक
नये साल कुछ इस तरह से आना
खोई खुशियां सबकी ही लौटाना
छीन ना लेना किसी के माँ बाप
बच्चें भला क्या जानेगे पुण्य-पाप
दुआ ! चिरंजीवी हो देश का युवक
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक
आओ नववर्ष की आगवानी कर लें
कुछ भेद खोलें बात पुरानी कर लें
आओ मन की सब गिरह खोल लें
जो छिपाए बैठें बरसों से कह सुन लें
संकट कैसा भी ना आए देश पर
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक
दिसंबर की रात की वो रात आखिरी
शान्त स्थिर उसका वो पेज आखिरी
दोनों की थी आज ये रात आखिरी
सब रिश्तों का था वो साथ आखिरी
दुखों में परिपूर्णता ही बने सहायक
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक
प्रार्थना अंदर के संकटों खातिर
करते रहते हैं सब गरीब-अमीर
जरूरत होगी तो तुम भी करोगे
खुशी के खजाने बहुतायत भरोगे
अपनों का कैसे करें आभार व्यक्त
नववर्ष सभी के लिए रहे मुबारक
✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )
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