पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा रिश्तों के महत्व तथा विशेषता को दर्शाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन 'रिश्ता विशेष साहित्यिक महोत्सव' का आयोजन किया गया। जिसका 'विषय - रिश्तों की विशेषता' रखा गया। इस महोत्सव में अर्चना वर्मा (क्यूबेक, कनाडा) सहित देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया तथा एक से बढ़कर एक बेहतरीन रिश्तों के महत्व तथा विशेषता पर आधारित रचनाओं को प्रस्तुत कर ऑनलाइन 'रिश्ता विशेष साहित्यिक महोत्सव' की शोभा में चार चाँद लगा दिए। इस महोत्सव में कुसुम अशोक सुराणा (मुंबई, महाराष्ट्र), संध्या रामप्रीत (पुणे, महाराष्ट्र) और अर्चना वर्मा (क्यूबेक, कनाडा) की रचनाओं ने सभी का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। इस महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन "पुनीत रिश्ता स्नेही" सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने मानव जीवन में रिश्तों के महत्व तथा विशेषता के बारे में बताते हुए, सभी से रिश्तों में पड़ रही दरारों को दूर करके रिश्तों की सुरक्षा एवं संभाल करने की प्रार्थना की। इसके साथ ही उन्होंने महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया और रचनाकारों को आने वाले ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सवों में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सादर आमंत्रित भी किया। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम अर्चना वर्मा, कुसुम अशोक सुराणा, चंचल जैन, सावित्री मिश्रा, संध्या रामप्रीत, मीता लुनिवाल, सुनीता सोलंकी 'मीना', नीति झा, रचनाकारों के रहे।
रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
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पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...
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