तुम्हारी याद इस दिल से जाती नही
तुंम से मिलने की उम्मीद बहुत है
मगर तुमसे मिलने की रुत है कि आती नही
करूँ कितनी भी कोशिश इस दिल
को बहलाने की मगर
एक तेरी याद दिल से है कि जाती नहीं
प्रेम कि राह में मुझको ले चली
वो हाथ पकड़ के अपनी गली
मैं तो चलता रहा उसके साथ
दिल की अनजान राहों पर
दिल की अनकही बातें कभी
जब लब पर आती हैं तो
पलकें झुक जातीं हैं
कहीं भी दिल नहीं लगता
मिलन की टीस सताती है
कभी जब तन्हाई मे
उनकी याद आती है
खुशियों से भर जाती है शाम
हलचल मची है दिल में मेरे
वो दिल की हर बात समझ जाती है
वो आँखों में देख कर मेरी
समझ कर दिल की बातों को
साथ मेरा निभाती है
✍️ मीता लुनिवाल ( जयपुर, राजस्थान )
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