रिश्तों की डोर बहुत नाजुक,
काँ
अगर उसे सहेज कर ना रखे,
तो जरा
और ज़िंदगी बि
फिर उसे समेटने में उम्र निकल जाती
रिश्तों की डोर बांधे रखने के लि
प्रेम, आदर, सम्मान, समर्पण के साथ,
जीवन के नाव माँझी और पतवार के, समझदारी से तट पर लगती है
फिर ज़िंदगी खुशी भरे सुखी संसा
रिश्ते एक डोर से आपस में बाँधती है,
रिश्ते हमारे अन्दर जज़्बा
उससे एक परि
फिर आगे बढ़ने में मदद मिलती है,
जहाँ होते मधुर सम्बन्ध,
वहाँ
बड़े
रिश्तों की
जीवन रसमय हो
हृदय के बीच सुन्दर एहसास संग
पर दृढ़ विश्वास बनता है,
रिश्तों में कभी आँखों में आँसू,
कभी खून भी झलकता है,
कभी रिश्ते
मुलायम और नाजुक होते है,
सभी को सिखाते स्नेह बन्धन,
गाँ
रिश्तों में प्रेम प्यार स्नेह
सरिता जल धारा की तरह,
अपनों में समाया है ये जीवन,
आजकल कुछ रिश्ते बेजान से हो गए
बूढ़ी आँखें माँ-बाप की तरसती है,
अपनी औलाद को देखने के लि
अभी उन्हें ज़रूरत परिवार की
✍️ अर्चना वर्मा ( क्यूबेक, कनाडा )
बहुत ही सुन्दर सटीक रचना. रिश्तों का आधार प्यार, आपसी समझ, विश्वास और एक दूसरे की चाहत..
जवाब देंहटाएंपरमानन्द दीवान नारनौल हरियाणा भारत