रविवार, दिसंबर 19, 2021

🍁रिश्तों की डोर 🍁

 

रिश्तों की डोर बहुत नाजुक

काँ की तरह होती है,

अगर उसे सहेज कर ना रखे, 

तो जरा सा ठेस लगने से काँच चुभ जाता है

और ज़िंदगी बिखर जाती है

फिर उसे समेटने में उम्र निकल जाती है।।


रिश्तों की डोर बांधे रखने के लि एक दूजे पर विश्वास,

प्रेमआदरसम्मानसमर्पण के साथ,

जीवन के नाव माँझी और पतवार के, समझदारी से तट पर लगती है 

फिर ज़िंदगी खुशी भरे सुखी संसा से गुजरती है।। 


रिश्ते एक डोर से आपस में बाँधती है

रिश्ते हमारे अन्दर जज़्बा से उत्पन्न होते हैं,

उससे एक परिवार बनाते है,

फिर आगे बढ़ने में मदद मिलती है,

जहाँ होते मधुर सम्बन्ध

वहाँ ईश्वर के वरदान है रिश्ते

बड़े अनमोल होते रिश्ते

रिश्तों की जब मिलती ठंडी छाँव

जीवन रसमय होते।।


हृदय के बीच सुन्दर एहसास संग जुड़ता भरोसा,  

पर दृढ़ विश्वास बनता है

रिश्तों में कभी आँखों में आँसू

कभी खून भी झलकता है,

कभी रिश्ते रेशम बालों की तरह,

मुलायम और नाजुक होते है, 

सभी को सिखाते स्नेह बन्धन

गाँ नही पड़ने देते है।।


रिश्तों में प्रेम प्यार स्नेह बहे,

सरिता जल धारा की तरह,

अपनों में समाया है ये जीवन

आजकल कुछ रिश्ते बेजान से हो गए है

बूढ़ी आँखें माँ-बाप की तरसती है,

अपनी औलाद को देखने के लि,

अभी उन्हें ज़रूरत परिवार की है।।


          ✍️ अर्चना वर्मा ( क्यूबेक, कनाडा )



1 टिप्पणी:

  1. बहुत ही सुन्दर सटीक रचना. रिश्तों का आधार प्यार, आपसी समझ, विश्वास और एक दूसरे की चाहत..
    परमानन्द दीवान नारनौल हरियाणा भारत

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