मां भारती के भाल पर कर गए चंदन तिलक।
मिट्टी के दीये से रोशन कर गए विश्व फलक।
गुदड़ी का लाल रामानुजन, गणित का बना जादूगर।
प्रमेय, सूत्र, सांख्यिकी के रहस्यों को कर उजागर।
प्रतिभा का धनी श्रीनिवास, करने लगा विदेशो में वास।
हीरे का पारखी परदेशी हार्डी, तराशने का करे प्रयास।
ब्रह्मांड के रहस्यों से अनभिज्ञ, आध्यात्म का अक्षुण्ण दास।
अपनी नोटबुक में लिख गया पहेली से सूत्र गणितज्ञ श्रीनिवास।
लक्ष्य के प्रति एकाग्रता-विश्वास-लगन, सफलता का प्रमाण।
अवरोधकों को पार कर, पहुंचा अर्जुन सा करने संधान।
अद्भुत प्रतिभा का धनी, निर्धन, किशोर, श्रीनिवास रामानुजन।
गुलामी के अंधियारों में, वसुंधरा को किया दैदीप्यमान।
✍️ कुसुम अशोक सुराणा ( मुंबई, महाराष्ट्र )
बहुत सुंदर
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