यूँ तो हर कोई, किसी सुन्दरता पे मरता है
व्यवहार अक्सर सौन्दर्य को तय करता है
व्यवहार अक्सर सौन्दर्य को तय करता है
सुन्दरता क्या है बस इक दृष्टिकोण है
ज्ञान के सामने यह सदा रही गौण है
पहली नजर में जो उपजे मन में भाव
प्रत्यक्ष व्यवहार में दिखे उसका अभाव
शारीरिक सुन्दरता में इंसान रोज रमता है
व्यवहार अक्सर सौन्दर्य को तय करता है
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ
सुन्दरता स्थिर! रहे कार्यवश अस्त व्यस्त
सौन्दर्य मानक शारीरिक होता अधिक
मन हल्का रखे, ज़रूरत नहीं होंवे व्यथित
मन मस्तिष्क दोनो को सुन्दर रखता है
व्यवहार अक्सर सौन्दर्य को तय करता है
देह से परे जा जो सौन्दर्य को पहचाने
कोमल मनोभावों को कोई तो जाने
होता वही पारखी जो गुणों को देखे
यूं तो हर कोई रूप रंग के मिले चहेते
अच्छा स्वास्थ्य में ही सौन्दर्य दिखता है
व्यवहार अक्सर सौन्दर्य को तय करता है
खुद की ख़ुदी में ही तो खुदा सजीव है
क्यूँ बांवरा मन खुद, खुद का रकीब है
अपने दिल को इंसान गर साफ रखेगा
सबसे खूबसूरत फिर वो इंसान लगेगा
प्रकृति की सुन्दरता देख ऐसा लगता है
व्यवहार अक्सर सौन्दर्य को तय करता है
✍️ सुनीता सोलंकी 'मीना' ( मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश )
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