गुरुवार, नवंबर 25, 2021

💢 सुंदरता 💢


कहते है कई अपने पराये
तुम बहुत सुंदर हो 
क्या यही मेरी पहचान है
इसमें मेरा क्या योगदान है
ये तो मुझे जन्म से मिली है
मेरी आंतरिक सुंदरता 
क्यों नहीं दिखती तुम्हें 
मेरी अस्तित्व की लड़ाई 
कठिन रास्तों की चढ़ाई 
मेरे कामयाबी के शिखर 
बुद्धिमत्ता के उच्च स्तर 
मेरी हिम्मत जो कभी न हारती
मेरा नित नया कीर्तिमान 
कभी न खोता स्वाभिमान 
क्यों नहीं दिखता तुम्हें 
हाँ मैं सुंदर हूँ, मानती हूँ
बहुत सुंदर हूँ जानती हूँ
मगर अंदर से बहुत ज्यादा
सुंदर हूँ मन बहुत भोला
सीधा और दयालु है
लेकिन सिर्फ़ रूप से नहीं 
ढेरों प्रतिष्ठा सम्मान कमाए 
बहुत से लोग जानते है मानते है
एक बस तुम ही न देख पाए 
शायद तुम्हारी आँखें थी बंद 
या देखने की क्षमता थी कम 
हाँ मैं सुंदर हूँ, मानती हूँ
बहुत सुंदर हूँ जानती हूँ।

✍️ मीता लुनिवाल ( जयपुर, राजस्थान )



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