"सुंदरता की खोज में हम चाहे सारे संसार का चक्कर लगा आए अगर वह हमारे अंदर नहीं तो कहीं नहीं मिलेगी" -
एमर्सन
सुंदरता भला किसको नहीं मोहती। सुंदरता का तात्पर्य महज रूपवान होना ही नहीं अपितु असली सुंदरता गुणों से आंकी जाती है।
सौंदर्य या सुंदरता हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा है। चाहे प्राकृतिक सौंदर्य हो या मनुष्य के विचारों की सुंदरता हो। हिंदी साहित्य तो सुंदरता के उपमानों से भरा पड़ा है ।
जीवन में बाह्य सौंदर्य से अधिक आंतरिक सौंदर्य का महत्व है। साधारणतः लोग बाह्य सौंदर्य पर ध्यान देते हैं परंतु आंतरिक सौंदर्य की अवहेलना कर जाते हैं जबकि बाह्य की अपेक्षा आंतरिक सौंदर्य ज्यादा मायने रखता है। व्यक्ति की अच्छी सोच-विचार जैसा वह सोचता है वैसा ही उसका व्यवहार परिलक्षित होता है।
बाह्य सुंदरता तो वक्त के दौर के साथ ढल जाती है किंतु व्यक्ति की सोच, उसका शिष्ट व्यवहार व्यक्ति के ना रहने पर भी लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ देती है। व्यक्ति का बाह्य सौंदर्य तो प्राकृतिक होता है किंतु जो व्यवहार वह अपने अच्छे संस्कारों से अर्जित करता है उसकी सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं।
उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति देखने में तो अत्यंत सुंदर है किंतु यदि उसका व्यवहार लोगों के साथ उचित नहीं है या वह कटु वाणी बोलता है तो ऐसा व्यक्ति किसी भी श्रेणी में सुंदर नहीं कहा जा सकता, भले ही वह कितना भी धनी, संपन्न क्यों ना हो ?
मन की सुंदरता ही उसे एक सफल और प्रसिद्ध व्यक्ति बनाते हैं। मन की सुंदरता का कोई मोल नहीं है इसे खरीदा नहीं जा सकता इसे पाने के लिए व्यक्ति को अपनी सोच को सुंदर बनाना होगा ।
सही मायने में तन से ज्यादा मन की सुंदरता ही वास्तविक सुंदरता है।
"एक खूबसूरत मन ही लोगों के दिलों को जीतने का हुनर रखता है।"
✍️ डॉ० ऋतु नागर ( मुंबई, महाराष्ट्र )
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