बुधवार, नवंबर 03, 2021

☀️दीपों की श्रृंखला☀️

 

दीपावली प्राचीन सनातन संस्कृति का भारत में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है।
दीपावली ( दीप+आवली ) दो शब्दों का मेेल है जिसमें दीप का अर्थ है दीपक और आवली का अर्थ है श्रृंखला अर्थात् दीपावली से अभिप्राय दीपों की श्रृंखला से है। यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह पर्व अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला दीपों का त्यौहार है। इसका सामाजिक एवं धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व है दिवाली और दीपोत्सव भी इसी का एक नाम है। दीपावली के दिन अयोध्या के राजा श्री राम जी अत्याचारी रावण का वध करके 14 वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या लौटे थे। श्री राम जी के स्वागत के लिए पूरे अयोध्या के निवासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया था। कार्तिक माह की अमावस्या का अंधेरा रोशनी से जगमगा उठा। उसी समय से असत्य पर सत्य की जीत का यह पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन श्री कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया था। पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु ने भी नरसिंह रूप में हिरण्यकश्यप का वध भी दीपावली के दिन ही किया था। समुद्र मंथन के पश्चात माता लक्ष्मी जी व धन्वंतरि जी का प्रादुर्भाव हुआ। 5 दिनों तक चलने वाला यह पर्व धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज हर्षोल्लास से मनाया जाता हैं। श्री गणेश जी और लक्ष्मी जी के साथ मां सरस्वती का पूजन करके उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। दीपावली के दिन लक्ष्मी जी का आगमन होता है। हम सबको मिलकर बिना किसी द्वेष भावना से इस पर्व को मनाना चाहिए। सही मायने में देख लो दीपावली अंधकार से प्रकाश, बुराई से अच्छाई, अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाने वाला त्यौहार है। किसी के जीवन में अंधेरा ना हो। धरती पर कहीं भी अंधियारा ना रह जाए एवं हमारे हृदय से जो दीप जले वह रोशनी बनकर झिलमिलाए। 

                                       ✍️ डॉ० ऋतु नागर ( मुंबई, महाराष्ट्र )



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