दोस्तों की दोस्ती बहुमूल्य अलंकरण है। दोस्ती बहुत ही खूबसूरत शब्द है जो अपने आप में मानो परिपूर्ण तथा सभी रिश्तो एवं भावों को समेट हुए हैं।
दोस्ती ना उम्र की मोहताज है ना रंग रूप की मोहताज है, ना ही किसी बंधन से बंधी है ना ही किसी रिश्ते में बंधी है यह निर्मल भाव है जिसमें हम किसी का बुरा नहीं सोचते हैं ना किसी को कष्ट में देख सकते हैं।
यह वह भाव है जो स्तंभ के रूप में काम करते हैं हमारी जिंदगी में हम सब की स्थिति परिस्थितियों में आपके सामने शिक्षक खड़े हो जाए तो आपके चेहरे का भाव कैसा हो होता है लेकिन अगर शिक्षक के रुप में ही एक दोस्त खड़ा हो जाए तो आपके चेहरे का भाव तुरंत बदल जाता है दोस्ती हमेशा भाव से जुड़ी है जरिया हमारे-आपके बीच का नि:स्वार्थ भाव है एक सुखद एहसास किसी ना किसी रूप में।
दोस्ती ना होती तो रिश्तो में अपनापन ना होता एक मां का बेटी से.... एक पिता का अपने बेटे से,,,, भाई का बहन से,,, पति का पत्नी से,,, शिक्षक का छात्रों से,,,,और न जाने कई अन्य रिश्तों से लोगों में लगाव नहीं होता।
मैं, मै ना होती
तुम, तुम सब भी ना होते
हम, हम सब यहां ना होते
यह हमारी दुनिया ना होती दुनिया का हम सबसे और हम सबका दुनिया से दोस्ती का यह नाता ना होता
यह दोस्ती ही है जो अपने आप में हम सब को समेटे हुए हैं लपेटे हुए हैं।
दोस्ती का यह रिश्ता पाक है,,, जिसका जरिया हम और आप हैं,,,
अर्थात,,
हम लोगों की समझ शक्ति एक जैसी होनी चाहिए,,,,
यह हम सबका कल था ,,,आज है ,,,,और कल रहेगा,,,।
✍️ लीना प्रिया ( पटना, बिहार )
Great
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏🙏
हटाएंवाह 👌 बहुत सुन्दर रचना 👌🏻
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय सर 🙏🙏
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