पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा बाल दिवस के उपलक्ष्य में ऑनलाइन "बाल दिवस साहित्यिक महोत्सव" का आयोजन किया गया। जिसका 'विषय - बचपन के खेल, सपने और इच्छाएं' रखा गया। इस महोत्सव में इंदु नांदल (बावेरिया, जर्मनी ) सहित देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया तथा एक से बढ़कर एक बेहतरीन बचपन विशेष और बाल दिवस से संबंधित रचनाओं को प्रस्तुत कर ऑनलाइन बाल दिवस साहित्यिक महोत्सव में चार चाँद लगा दिए। इस महोत्सव में कुसुम अशोक सुराणा (मुंबई, महाराष्ट्र), निर्मला कर्ण (राँची, झारखण्ड) और इंदु नांदल (बावेरिया, जर्मनी) की रचनाओं ने सभी का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। इस महोत्सव में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन "पुनीत बाल साहित्य सुमन" सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने भारत देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी को नमन करते हुए देश के सभी बच्चों को बाल दिवस की शुभकामनाएं दी और महोत्सव में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि समूह आगे भी इसी तरह से विभिन्न पर्वों एवं विशेष दिवसों के अवसर पर ऑनलाइन साहित्यिक महोत्सव आयोजित करता रहेगा तथा नए रचनाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए ऑनलाइन साहित्यिक मंच उपलब्ध कराता रहेगा। इस महोत्सव में उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम कुसुम अशोक सुराणा, चंचल जैन, सावित्री मिश्रा, निर्मला कर्ण, महेन्द्र जोशी, मीता लुनिवाल, इंदु नांदल, डॉ० ऋतु नागर, मंजू शर्मा, मुकेश बिस्सा, सुनीता सोलंकी 'मीना', सविता 'सुमन' रचनाकारों के रहे।
रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
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पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...
बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं
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