शुक्रवार, अक्टूबर 01, 2021

🌼 गाँधी जी की सीख 🌼

 

2 अक्टूबर का दिवस सुहाना,
सिखाता सदा सत्य कहना,
है सच जीवन का सबसे सुंदर गहना,
गाँधी जी का था ये कहना

हिंसा से सदा रहना दूर,

करती ये पल में सब चूर।

अहिंसा का स्वाद जिसने चखा,

बनी सफलता उसकी सखा।


सिखाते सीख बड़ी बापू के बंदर,

ना सुनें, ना देखें, ना कहें बुरा अगर,

जीवन जाएगा सबका सुधर,

मनमोहक होगी हर डगर,

मानवता चूमेगी शिखर


बात अपनी समझाते गाँधी जी रख उपवास,

ना लड़ाई, ना अपशब्द ये तरीक़ा था उनका ख़ास,

हिंसा को ना फटकने देते थे पास,

झूठ नही आता था उन्हें कभी भी रास,

बस सत्य का था जीवन में वास।


ना था किसी से राग द्वेष,

तन-मन में बसा था भारत देश,

सीधा-सादा था उनका वेश,

चरखा था उन्हें प्रिय विशेष


ग़ुलामी थी उनके लिए एक अभिशाप,

देश को आज़ाद कराने का उठाया संकल्प,

योगदान उनका नहीं कोई सकता नाप,

देख दृढ़ता-साहस उनके अंग्रेज गए थे काँप,

गाँधी जी छोड़ गए हर हृदय पर अपनी छाप


सदा अमर रहेंगे ऐसे महान युगपुरुष,

प्रोत्साहित करता रहेगा उनका यश।


बस यही चाहते थे आदरणीय गांधी,

संसार में ना चले कभी हिंसा रूपी आँधी,

संसार में ना चले कभी हिंसा रूपी आँधी


✍️ इंदु नांदल ( बावेरिया, जर्मनी )



1 टिप्पणी:

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...