बापू तेरी जयंती पर तुमको करते शत्-शत् प्रणाम।
यह राष्ट्र तुम्हारा आभारी, कहता है तुम को राम-राम।।
तेरी दिव्य महानता को लेखनी भी कोटिश नमन करे।
प्रेम की ज्योति जला हृदय, तुम वैष्णव जन परपीर हरे।।
अर्जुन का गांडीव धरे, शर सत्य अहिंसा की लेकर चले।
भारत की आत्म-अवनि में बसते, तुम भारत सपूत पहले-पहले।।
बिन शस्त्र आजाद कराया भारत, जीवन से डोर जीवन की बांधी।
हे निडर, साहसी संत तुम ही थे असहयोग आंदोलन की आंधी।।
तुम आत्म अदालत के वकील या भारत के प्रतिनिधि पत्रकार।
हे राष्ट्रपिता ! हे युगपुरुष ! हम तेरे आभारी, तुमको नमन बारंबार।।
कौन लिखे तेरी महानता को हे जग के प्यारे बापू।
जो तुझसा हो वो ही तुझको पहचाने प्यारे बापू।।
✍️ प्रतिभा तिवारी ( लखनऊ, उत्तर प्रदेश )
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