शनिवार, अक्टूबर 23, 2021

🌙 चाँद 🌙

ए चाँद आज तू जरा जल्दी आना
मत करना कोई बहाना
बादलों की ओट से निकल आना
मुझे साजन के लिए है सजना
करती हूँ हर पल कामना
करनी है पूजा पति परमेश्वर की
मांगी है मन्नत उसके लिए कई
है अरमान इस सुहागिन का
पल-पल निहारूँ मैं तुझे
चैन न आये बिन देखे तुझे
किये है सोलह श्रृंगार
सह लूंगी तेरे लिए मैं हर वार
ना भूख लगती है ना प्यास
बस तुझसे मिलने की है आस
हर दम रहूँ पिया के पास
मुझे आती हर चीज उनकी रास
सदा सुहागिन का वर दे जाना
ए चाँद आज तू जरा जल्दी आना 

       ✍️ मुकेश बिस्सा ( जैसलमेर, राजस्थान )



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।

पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...