श्रद्धेय तुम्हारे आदर्शों का,
हम पुनः अनुसरण करते हैं।
हम पुनः अनुसरण करते हैं।
पर परिवर्तन का दौर है अब,
नयनों से अश्रु ही झरते हैं।।
फिर भी आज अडिग हैं हम,
तेरे पथ पर चलते जाते हैं।
वह भी सीख तुम्हारी ही थी,
कांटो से नहीं घबराते हैं।।
हमने जो पाया है तुमसे,
वह भविष्य को दे जाएंगे।
स्वीकृति में उनकी हां या ना,
कैसे हम तुम्हे बता पाएंगे।।
मंजिल भी है और राहें भी हैं,
जो समय चक्र की बाट जोहते हैं।
अवतार धरो फिर धरती पर,
नमन में तुमको शीश झुकाते हैं।।
✍️ प्रतिभा तिवारी ( लखनऊ, उत्तर प्रदेश )
सुंदर 👌
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