बुधवार, अक्टूबर 06, 2021

🌿 पूर्वज 🌿

 

पूर्वज सदा सत्यवीर अभिमानी थे,
कहाँ कोई ऐसा जैसा वो दम रखते थे,


एक नई पीढ़ी की नींव रखकर,
कहीं अनन्त में गुम हो गए हो,

संवेदनाओ को मुझमें जगाकर,
मुझसे आत्मीय सम्बन्ध बनाकर,

क्यूँ जग से मुँह फेर गए तुम
छोड़ गए तुम मुझे यूँ पीछे,

मगर एक बात सुन लो तुम,
तुम्हारे दिए हर काम करूंगा,

जग में रोशन तुम्हारा नाम करूँगा,
दिखाए तुम्हारे मार्ग पर चलूँगा,

सतत इन अविरल आँखों में,
सदा बसी रहेगी तस्वीर तुम्हारी,

नमन तुम्हें मैं करता हूँ जीवन पर्यंत,
बसें रहोगे हृदय में मीठी याद बनकर।
 
         ✍️ मीता लुनिवाल ( जयपुर, राजस्थान )



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