पुनीत अनुपम साहित्यिक समूह द्वारा गांधी जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन "महात्मा गांधी स्मृति साहित्यिक सप्ताह" का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'महात्मा गांधी और उनकी शिक्षाएं' रखा गया। इस स्मृति साहित्यिक सप्ताह में इंदु नांदल (बावेरिया, जर्मनी) सहित देश के अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों ने भाग लिया तथा महात्मा गांधी जी के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित अपनी उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत कर महात्मा गांधी जी के प्रति अपने अटूट स्नेह तथा आदर भाव को प्रकट किया। इस स्मृति साहित्यिक सप्ताह में सरोज कंचन (कानपुर, उत्तर प्रदेश) तथा इंदु नांदल (बावेरिया, जर्मनी) की रचनाओं ने सभी का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया। इस स्मृति साहित्यिक सप्ताह में सम्मिलित सभी प्रतिभागी रचनाकार शख्सियतों को ऑनलाइन "राष्ट्रपिता स्नेही रचनाकार" सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समूह के संस्थापक एवं अध्यक्ष पुनीत कुमार जी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को कोटि-कोटि नमन करते हुए, समस्त देशवासियों को गांधी जयंती की शुभकामनाएं दी तथा समस्त देशवासियों से गांधी जी की शिक्षाओं का अनुसरण करने की विनती भी की। इसके साथ ही उन्होंने महात्मा गांधी स्मृति साहित्यिक सप्ताह में प्रस्तुत की गई रचनाओं पर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देकर रचनाकारों का उत्साहवर्धन किया तथा समूह द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न ऑनलाइन साहित्यिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिए हिंदी रचनाकारों को सादर आमंत्रित भी किया। इस स्मृति साहित्यिक सप्ताह में अपनी उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करके समूह की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख नाम सरोज कंचन, इंदु नांदल, प्रतिभा तिवारी, अनुपमा कडवाड़, डॉ. उमा सिंह बघेल, डाॅ. ऋतु नागर, मीता लुनिवाल, डॉ. पद्मावती, मुकेश बिस्सा रचनाकारों के रहे।
रचनाकारों, कलाकारों, प्रतिभाशाली लोगों और उत्कृष्ट कार्य करने वाली शख्सियतों को प्रोत्साहित करने का विशेष मंच।
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पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव के प्रतिभागी रचनाकार सम्मानित।
पुनीत अनुपम ग्रुप द्वारा लोगों को स्नेह के महत्व और विशेषता का अहसास करवाने के उद्देश्य से ऑनलाइन स्नेह ध्येय सृजन महोत्सव का आयोजन किया गया...
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बन जाते हैं कुछ रिश्ते ऐसे भी जो बांध देते हैं, हमें किसी से भी कुछ रिश्ते ईश्वर की देन होते हैं कुछ रिश्ते हम स्वयं बनाते हैं। बन जाते हैं ...
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जीवन में जरूरी हैं रिश्तों की छांव, बिन रिश्ते जीवन बन जाए एक घाव। रिश्ते होते हैं प्यार और अपनेपन के भूखे, बिना ममता और स्नेह के रिश्ते...
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हे प्रियतम ! आपसे मैं हूँ और आपसे ही मेरा श्रृंगार......। नही चाहिए मुझे कोई श्रृंगार-स्वर्ण मिल जाए बस आपका स्नेह.. ...
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