निराशाओं को दूर करके,
आशाओं को पास बुलाते हैं।
जग में फैले हुए अंधकार को,
आओ ! सब दूर भगाते हैं।
दीपक एक जलाते हैं।
जग में फैले हुए अंधकार को,
आओ ! सब दूर भगाते हैं।
दीपक एक जलाते हैं।
पूर्ण हो सबकी कामना,
मिटे मन की हीन भावना।
हम सभी एकाकार होकर,
चलो फिर गले लग जाते हैं।
दीपक एक जलाते हैं।
असत्य की राह छोड़कर,
सत्य की राह मंजिल पाकर।
तेजोमय सब मिलजुल,
संग दीपोत्सव मनाते है।
दीपक एक जलाते हैं।
✍️ मुकेश बिस्सा ( जैसलमेर, राजस्थान )
उत्तम रचना
जवाब देंहटाएं