पथ में कदम तेरे भले डगमगाए
चाहे अपमान ही क्यों ना हिस्से में आए
गिरकर संभलना पर विचलित न होना
अच्छाई किसी की कभी व्यर्थ न जाए।
हर मोड़ पर ही दो-दो राहें मिलेंगी
अच्छी, बुरी दोनों राहें मन को छलेंगी
ईप्सा में पड़कर कहीं भटक नहीं जाना
अच्छाई की राहों में ही मंजिल मिलेगी।
प्रबलता दशानन-सा देव भी न पाए
रावण के निज कर्मों ने सबकुछ गँवाए
श्रीराम ने सिखाया तुम धैर्य नहीं खोना
अच्छाई की ताकत से ही लंका मिटाए।
अनुचित कर्मों से भले वैभव हो जाए
सदगुण, सदाचरण से ही मन सुख पाए
धोखे बहुत हैं जग में, भ्रम में न खोना
सही और गलत का भेद समझ न आए।
प्रेम, दया, सेवा जिसके दिल में समाए
चरित्र, व्यवहार, वचन से तन को सजाए
शिष्टाचार, संयम ही है जीवन का गहना
अच्छाई ही जीवन-पथ को सुगम बनाए।
चाहे अपमान ही क्यों ना हिस्से में आए
गिरकर संभलना पर विचलित न होना
अच्छाई किसी की कभी व्यर्थ न जाए।
हर मोड़ पर ही दो-दो राहें मिलेंगी
अच्छी, बुरी दोनों राहें मन को छलेंगी
ईप्सा में पड़कर कहीं भटक नहीं जाना
अच्छाई की राहों में ही मंजिल मिलेगी।
प्रबलता दशानन-सा देव भी न पाए
रावण के निज कर्मों ने सबकुछ गँवाए
श्रीराम ने सिखाया तुम धैर्य नहीं खोना
अच्छाई की ताकत से ही लंका मिटाए।
अनुचित कर्मों से भले वैभव हो जाए
सदगुण, सदाचरण से ही मन सुख पाए
धोखे बहुत हैं जग में, भ्रम में न खोना
सही और गलत का भेद समझ न आए।
प्रेम, दया, सेवा जिसके दिल में समाए
चरित्र, व्यवहार, वचन से तन को सजाए
शिष्टाचार, संयम ही है जीवन का गहना
अच्छाई ही जीवन-पथ को सुगम बनाए।
✍️ सरोज कंचन ( कानपुर, उत्तर प्रदेश )
ज्ञान वर्द्धक
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