शुक्रवार, अक्टूबर 01, 2021

❇️ बचपन के रंग ❇️


प्यार  के  होते  रंग  हज़ार,
ज़रा  पलट  कर  देखो  यार।

हाथ पकड़ के चलना सिखाया,
गोदी   मे  अपनी   झुलाया।
लाड़ -प्यार और करते दुलार,
ज़रा  पलट  कर  देखो   यार ।

करते   हमसे   ख़ूब  लड़ाई,
पर  उसमें  भी प्यार  है भाई,
भाई -बहन का अनूठा प्यार,
ज़रा  पलट  कर  देखो यार।

मास्टर जी  ने बहुत  ही मारा,
पर उसमें भी प्यार था  सारा,
शिक्षा से दिया जीवन सुधार,
ज़रा  पलट  कर  देखो  यार।

सखी सहेलियों ने ख़ूब सताया,
कभी खिलाया कभी चिढ़ाया,
बचपन का  वो मासूम  प्यार,
ज़रा  पलट  कर  देखो  यार।

बचपन की थी बात ही न्यारी,
छुपम छुपाई खो-खो लगोरी,
गेंद  से  पड़ती  थी  तब मार,
ज़रा  पलट  कर  देखो  यार।

      ✍️ राज सुराना ( मुंबई, महाराष्ट्र )


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