हिंदी हमारी आन है, हिंदी हमारी शान है।
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
एक डोर मे सबको जो बाँधती वह हिंदी है,
तत्सम, तद्भव देशी-विदेशी सब रंगों को अपनाती हिंदी है।
ये भाषा है जनमानस की जो हृदय से सबको जोड़ती है,
जब हम पढ़ते इतिहास तो सभ्यता की ओर मोड़ती है।
सारी दुनिया मे इस भाषा के लिए विशेष सम्मान है,
संस्कृत से संस्कृति हमारी हिंदी से हिंदुस्तान है।
सारा भारत हर परिस्थिति मे हिंदी से जुड़ बना महान है,
तभी तो हिंदी भाषा मे गाया जाता हमारा राष्ट्र गान है।
हिंदी मे सीखे पढ़ना गाने हम हिंदी मे गाते हैं,
फिर क्यों हिंदी मे बात करने मे व्यर्थ हम घबराते हैं।
हिंदी हमारी निराला, प्रेमचंद की लेखनी का गान है।
बच्चन, पंत, दिनकर, तुलसी, सूर, मीरा, जायसी की तान है।
पर आज हमारी भाषा की व्यथा दुख भरी गाथा है,
क्षेत्रीयता और राजनीति से त्रस्त हमारी हिंदी भाषा है।
सदा हम मनाएं हिंदी दिवस शपथ आज हमे लेना होगा,
निजी स्वार्थ छोड़ हमे अपनी हिंदी से नाता जोड़ना होगा।
सम्मानित हो हिंदी बने यह हमारी राष्ट्र भाषा,
हर हिन्दुस्तानी के दिल की आज यही है अभिलाषा।
देश के कण-कण से जन-जन की यही पुकार,
मिले हिंदी को प्यार सम्मान सजग हो हिन्दी के लिए सरकार।
जब तक नील गगन मे चाँद सूरज की लगी बिंदी रहे,
तब तक हमारे वतन की राजभाषा हिंदी अमर रहे।
हम सब को मिल कर एक अलख को जगाना होगा,
हर हाल मे हिंदी को राष्ट्र भाषा का मान दिलाना होगा।
✍️ सावित्री मिश्रा ( झारसुगुड़ा, ओड़िशा )
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