दूरदर्शन का आगमन हमारे देश में एक क्रांति साबित हुआ है। मनोरंजन की दुनिया का यह एक अमूल्य तोहफा था। इसकी शुरुआत सबसे पहले दिल्ली से हुई जहां बड़े-बड़े ट्रांसमीटर लगाकर 18 सेट अलग-अलग जगहों पर शुरू हुए। पहले इस का नाम टेलीविजन इंडिया था बाद में 1975 में दूरदर्शन हुआ। भारत में इसकी शुरुआत 15 सितंबर 1959 को हुई। शुरुआत में सप्ताह में 3 दिन आधे-आधे घंटे का कार्यक्रम दूरदर्शन पर होता था जिसमें कृषि दर्शन और समाचार होते थे। कृषि दर्शन तो आज भी चल रहा है यह सबसे लंबे समय तक चलने वाला एक लोकप्रिय कार्यक्रम है। गांव में पंचायत भवन में एक टी०वी० हुआ करता था जहां 100 से ज्यादा लोग इकट्ठे होकर इस कार्यक्रम का आनंद उठाते थे। उन्हें कृषि के बारे में बहुत सारी जानकारियां भी मिलती थी तथा उनके मनोरंजन का सबसे अच्छा साधन था। 80 के दशक में भारत के सभी राज्यों में दूरदर्शन का प्रवेश हो चुका था। प्रारंभ में जब इस पर धारावाहिक आए तो मनोरंजन की दुनिया में क्रांति आ गई। महिलाएं, बच्चे, युवा, बुजुर्ग सभी दूरदर्शन के दीवाने हो गए क्योंकि यह कार्यक्रम उनके मनोनुकूल थे। "हम लोग" और "बुनियाद "जैसे धारावाहिक बिल्कुल मध्यवर्गीय परिवार के थे। ना कोई ताम झाम था ना कोई घरेलू षड्यंत्र। इसलिए लोगों को यह चैनल भा गया। रविवार की सुबह तो किसी त्योहार से कम नहीं होती थी। लोग सवेरे नहा धोकर तैयार हो जाते और टी०वी० के सामने आकर बैठ जाते। स्त्रियां अपने घर का सारा काम निपटा कर निश्चिंत होकर रामायण की प्रतीक्षा में बैठी होती। रामायण के समय सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा होता था। जिसके घर में टी०वी० होता उसके आस-पास के घरों के लोग भी आकर उनके ड्राइंग रूम में बैठ जाते और सभी मिलकर रामायण का आनंद लेते। यह एक अद्भुत नजारा होता था। लोग इसकी वजह से आपस में जुड़ते भी गए। इसके बाद महाभारत सीरियल आया वह भी बहुत ही लोकप्रिय हुआ 1982 में रंगीन टी०वी० बाजार में आ गया। इसने तो दूरदर्शन की काया ही पलट दी। क्रिकेट कमेंट्री के प्रसारण ने तो तहलका ही मचा दिया। अब तक दूरदर्शन के बहुत सारे चैनल आ गए थे। 2002 से 2004 तक इतने सारे नए चैनल आ गए और उन पर रंगारंग कार्यक्रम होने लगा कि धीरे-धीरे उनकी चमक-दमक के सामने दूरदर्शन की चमक फीकी पड़ती गई। परंतु लोगों के दिल में दूरदर्शन के धारावाहिक अब भी मौजूद थे। इसलिए जब लॉकडाउन में रामायण, महाभारत, चंद्रकांता, शक्तिमान आदि धारावाहिक का प्रसारण फिर से शुरू हुआ तो लोगों को पता ही नहीं चला कि उनका समय कितनी सहजता से बीता। शास्त्रीय संगीत हो, शिक्षाप्रद कहानियां हो, सादगी से प्रसारित समाचार हो, पौराणिक कथाएं हो, या मध्यवर्गीय परिवार का चित्रण करता हुआ धारावाहिक हो, दूरदर्शन का जवाब नही। दूरदर्शन एक क्रांति का नाम था, मनोरंजन की दुनिया की नींव का नाम था और उस पर बने महल का बादशाह था दूरदर्शन। जिस ने प्रारंभ में दूरदर्शन देखा है। वे उसे कभी नहीं भूल सकते।
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बहुत सुंदर 👌👌
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