शनिवार, सितंबर 04, 2021

🌼 गुरु चरणों में नमन 🌼

गुरु चरणों में नमन करूँ मैं है मेरा सादर वंदन,
गुरु को भेंट करुँ आज मैं कोटि-कोटि श्रद्धा अर्पण।
मेरे श्रद्धेय गुरु की महिमा है जग में सबसे न्यारी,
अन्धकार में घिरा है मानव गुरु करते जीवन उजियारी।
शिक्षा का दीप जलाकर गुरुवर मिटाते जीवन का अंधकार,
सेवा में अर्पण है गुरु के तन-मन जीवन बारंबार।
गुरु बिन ज्ञान कहां से मिलता गुरु होते ईश्वर पितु माता,
शिक्षा दीप जला गुरु ही तो अन्धकार से दूर ले जाता।
प्रथम गुरु माँ आप हैं जिनसे है पाया जीवन का वरदान,
और पिता भी गुरुवर मेरे जिनसे है मेरी पहचान।
नमन करूँ सारे गुरुवर को जिनसे मिला मुझे अक्षर ज्ञान,
मेरे सारे शिक्षक ने दिलाया मुझको दुनिया में सम्मान।
शिक्षक ना होते तो कैसे मिलता मुझे शिक्षा का वरदान,
शिक्षक ना होते तो कैसे पाता सृष्टि का सम्यक ज्ञान।
मेरे हैं शिक्षक वे भी जिनसे कुछ भी सीखा है,
उनके सम्मुख मैं श्रद्धावनत वह मेरे लिये गुरुवर सरीखा है।
ईश्वर से पहले गुरु होते गुरु में है ईश्वर का वास,
ईश्वर की सत्ता का गुरुवर ने ही मुझे दिलाया है विश्वास।
नमन करूं गुरुवर को मैं यह मेरे उद्धारक हैं,
सारे शिक्षक गण मेरी अज्ञानता के संहारक हैं।
नन्हे बालक भी मेरे बन जाते अक्सर शिक्षक हैं,
उनसे भी मिलती शिक्षा मुझे वह मेरे ज्ञान के पोषक हैं।
गुरु ही ब्रह्मा गुरु ही विष्णु गुरु हैं महादेव अवतार,
गुरु को नमन करूँ श्रद्धा से प्रति दिन मैं तो बारंबार।।

                             ✍️ निर्मला कर्ण ( राँची, झारखण्ड )

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