जिसमें सत्यम शिवम् सुंदरम है समाया,
वही नाम मेरे आज सपने में आया।
जिसको सबने अपने मन में बसाया,
उसी को हम सब ने दूरदर्शन बताया।
कितने धारावाहिक कार्यक्रम भी दिखाए,
जो देश-विदेश सब जगह गए सराहे।
रामायण, महाभारत, सब पुराण दिखाए,
विक्रम-बेताल अलिफ-लैला भी नहीं जाते भूलाए।
कार्यक्रम अगर कोई छूट जाए तो लोग बहुत तड़पते थे,
टी०वी० वालों के थे ठाट-बाट वह बात-बात पर अकड़ते थे।
चित्रहार सब हिल मिल देखें रंगोली देखें शान से,
शक्तिमान की जब बारी आई तब देखे आराम से।
दूरदर्शन के उस दौर की चकाचौंध से कोई बच ना पाया,
कितने ही कलाकारों ने इसके माध्यम से अपना नाम चमकाया।
जब-जब नेटवर्क ना मिलने पर माँ-बाप का दिल घबराया,
तब उठ-उठ कर के बच्चो ने धीरे-धीरे एंटीना घुमाया।
आज फिर से हुई ताज़ा मेरी बचपन की यादें,
आज फिर दूरदर्शन का वो स्वर्णिम दौर याद आया।
✍️ रमाकांत तिवारी ( झांसी, उत्तर प्रदेश )
सुंदर 👌👌
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