मोहिनी बाल लीलाएं अद्भुत,
भोला-भाला बचपन नटखट,
अल्हड़ अठखेलियां, शरारतें,
वह मासूम मुस्कुराहट।।
मनमोहना की मनभावन,
मधुर सुर लहरी-सा मधुरिम,
इठलाता, इतराता, बलखाता,
जैसे सुहाना सुहासी मौसम।।
खिलते सुरभित फूलों-सी,
तरोताजगी, आह्लादित भाव,
कलरव करते पंछियों-सी,
उन्मुक्त चहचहाहट, प्रेमभाव।।
मासूम, प्यारी-प्यारी सूरत,
परम प्रभु-सी मनोहारी मूरत,
निश्छल, खूबसूरत, सदाबहार,
भक्ति भाव की मधुरस बहार।।
उम्र का अति कोमल, निर्मल पड़ाव,
न कोई चिंता, फिकर, न कोई तनाव,
खूब खेलो, नाचो, गाओ, मौज करो,
शोर, धमाचौकड़ी, निशंक उधम करो।।
रूठना-मनाना, कट्टी-बट्टी, प्यार की बौछार,
पलभर में झगड़ा, पलभर में आनंद फुहार,
जी लो जी भर मासूम, निरागस बचपन प्यारा,
लौट न आयेगा ये अलबेला मौसम दुबारा।।
नन्हा-सा दीपक हरे गम अंधियार,
मासूम हंसी से हरदिल में उजियार,
मानवता का पावन श्रृंगार,
बचपन प्रभु का सर्वोत्तम उपहार।।
ढलती उम्र, जीवन की संध्या बेला में,
सहेजा हैं शिद्दत से हमने बचपन दिल में,
निश्चल, पावन, पुनीत, पुलकित बचपन,
सुरभित भावपुष्पों से सजा हो जैसे उपवन।।
मधुर सुर लहरी-सा मधुरिम,
इठलाता, इतराता, बलखाता,
जैसे सुहाना सुहासी मौसम।।
खिलते सुरभित फूलों-सी,
तरोताजगी, आह्लादित भाव,
कलरव करते पंछियों-सी,
उन्मुक्त चहचहाहट, प्रेमभाव।।
मासूम, प्यारी-प्यारी सूरत,
परम प्रभु-सी मनोहारी मूरत,
निश्छल, खूबसूरत, सदाबहार,
भक्ति भाव की मधुरस बहार।।
उम्र का अति कोमल, निर्मल पड़ाव,
न कोई चिंता, फिकर, न कोई तनाव,
खूब खेलो, नाचो, गाओ, मौज करो,
शोर, धमाचौकड़ी, निशंक उधम करो।।
रूठना-मनाना, कट्टी-बट्टी, प्यार की बौछार,
पलभर में झगड़ा, पलभर में आनंद फुहार,
जी लो जी भर मासूम, निरागस बचपन प्यारा,
लौट न आयेगा ये अलबेला मौसम दुबारा।।
नन्हा-सा दीपक हरे गम अंधियार,
मासूम हंसी से हरदिल में उजियार,
मानवता का पावन श्रृंगार,
बचपन प्रभु का सर्वोत्तम उपहार।।
ढलती उम्र, जीवन की संध्या बेला में,
सहेजा हैं शिद्दत से हमने बचपन दिल में,
निश्चल, पावन, पुनीत, पुलकित बचपन,
सुरभित भावपुष्पों से सजा हो जैसे उपवन।।
✍️ चंचल जैन ( मुंबई, महाराष्ट्र )
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