वो बारिश का पानी,
पानी में भीगना याद हैं।
वो दोपहर में सोने का,
जूठा बहाना याद हैं।
घर की छत पर वो,
जाड़े की धूप याद हैं।
बचपन के यारों के,
घर रोज़ जाना याद हैं।
गर्मियों की घोर धूप में,
नींद से जी चुराना याद हैं।
फ्रिज में से बर्फ चुपके,
चुराके खाना याद हैं।
दादी नानी का डांट से,
बचाना याद हैं।
सावन के मेलों में,
दोस्तों संग जाना याद हैं।
वो परीक्षा के दिनों में,
रेडियो संग पढ़ना याद है।
खेलने के बाद गन्दे,
कपड़े छुपाना याद है।
टिफिन का खाना,
दोस्तों को बांटना याद है।
वो दीवाली के दिनों में,
पैसे जमा करना याद है।
गलीं में खेलते-खेलते,
शीशे तोड़ के छुप जाना याद हैं।
वो बचपन के दिन,
वो गुज़रा ज़माना याद हैं।
✍️ मुकेश बिस्सा ( जैसलमेर, राजस्थान )
काफी मस्तियाँ करी है बचपन मे 😀
जवाब देंहटाएं