अक्षर-अक्षर ज्ञान का देकर, बुद्धिमान बनाते शिक्षक।।
जीवन के अंधेरे में प्रकाश पुंज बन जाते शिक्षक।।
बच्चों का मन कोरा कागज अमिट ज्ञान लिखवाते शिक्षक।।
कभी प्यार से कभी डाँट से सही गलत बतलाते शिक्षक।।
जाति-धर्म का भेद मिटाकर प्रेम से रहना हमें सिखाते।।
सत्य सदा झूठ पर भारी, सत्य बोलना हमें सिखाते।।
बन जीवन के पथप्रदर्शक जीवन को नई राह दिखाते।।
नित नई सफलताएँ पायें हम कठिन मार्ग को सरल बनाते।।
सम्मान करो सभी बड़ो का, प्यार से रहना हमें सिखाते।।
विश्वबंधुत्व, एकता, स्ने ह का भाव है मन मे जगाते।।
शिक्षा का वरदान है देते, संस्कार और ज्ञान है देते।।
इससे बड़ा सम्मान नहीं कुछ अमूल्य अपना आशीर्वाद है देते।।
धैर्य का हमको पाठ पढ़ाया, संकट में हौसला बढ़ाया।।
कदम-कदम परछाई बनकर आपने मेरा साथ निभाया।।
श्रद्धा से झुक जाता है सिर चरणरज पाने को आपकी।।
स्नेह से पूरित हृदय आपका मृदुवानी सदा रही आपकी।।
इस समाज के निर्माण में शिक्षक की अहम भूमिका है।।
समाज को नई दिशा देने की केवल शिक्षक में क्षमता है।।
सृजनात्मकता से अपनी वह समाज मे बदलाव ला सकता है।।
नवाचारों को स्थापित कर सरल शैक्षिक वातावरण बना सकता है।।
शिक्षक ही समाज के समग्र व्यक्तित्व का उत्तरदायी है।।
राष्ट्र को समृद्ध और विकसित बनाने में उसने पूर्ण भूमिका निभाई है।।
शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक ही सामाजिक विकास का सूत्रधार है।।
शिक्षक के ही हाथों में देश की प्रगति और उत्थान है।।
शिक्षक ही राष्ट्र निर्माता और देश की पहचान है।।
शिक्षा देना ही उसका कार्य नही, बनाना उत्तरदायी नागरिक निर्माण है।।
हे मेरे शिक्षक, गुरुवर आपको नमन यह बारम्बार है।।
आपके द्वारा ही संवरी मेरी जिंदगी की पतवार है।।
जननी, जनक से ज्यादा गुरुवर आपका सम्मान है।।
उन्होंने तो सिर्फ जन्म दिया पर आपने दी पहचान है।।
✍️ ममता सिंह "अनिका" ( बरेली, उत्तर प्रदेश )
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