इक्कीसवी सदी का,
एक अनमोल अविष्कार हैं दूरदर्शन।
जो करा सकता है सबको,
विश्व के हर छोर के दर्शन।
वैज्ञानिक बेयर्ड ने किया था,
जब इसका अविष्कार।
तब लोगों को लगा था,
जैसे है यह एक नया चमत्कार।
कुछ लोग इसके तो,
विरोध में बस खड़े है।
नैतिक मूल्यों के पतन की,
गहरी सोच में पड़े हैं।
कहीं चूक है अपनी जो,
मित्र दूरदर्शन हो रहा दोषी।
वरना ताका-झांकी चलती सदा,
कि क्या कर रहा अपना पड़ोसी ?
विज्ञान है और ज्ञान है,
मनोरंजन की खान है,
देश के विकास में,
कुछ इसका योगदान है।
बनाया गया इसको काम के लिए,
उपयोगी है ये सुबह-शाम के लिए।
फिर क्यों हम इसके दुरुपयोग से,
सांस्कृतिक प्रदूषण में जीयें।।
✍️ मुकेश बिस्सा ( जैसलमेर, राजस्थान )
बेहतरीन 👌
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