हिंदी से मैंने बोलना सीखा और लिखना सीखा है। हिंदी के माध्यम से भावों को समझ कर ही दुनिया को जाना है। हमें अपने पाठ्यक्रम में हिंदी भाषा की अनिवार्यता को उचित सम्मान देना चाहिए और अपने आसपास के सभी लोगों को अपनी मातृभाषा का अधिकतम प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। क्योंकि हिंदी हमारे पूरे देश में बोले जाने वाली वह भाषा है जो कि देश के हर क्षेत्र में हर छोटी-बड़ी जगह बोली जाती है और हर राज्य को एक-दूसरे से जोड़ती है। आज विदेशी लोग भी हिंदी भाषा सीखना चाहते हैं, क्योंकि हिंदी भाषा विश्व में बोली जाने वाली अंग्रेजी भाषा से कई गुणा ज्यादा वैज्ञानिक है। इसलिए विश्व के अन्य देशों की रुचि भी हिंदी भाषा में बढ़ी है। लेकिन दुर्भाग्यवश अपने देश में हिंदी को वह स्थान नही मिल पाया, जिसकी वह हकदार है। एक राष्ट्रभाषा का सम्मान पाने की सच्ची हकदार केवल हिंदी भाषा ही है। अन्य देशों ने केवल उनकी अपनी मातृभाषा को ही प्राथमिकता देकर प्रगति के शीर्ष को छुआ है। वैसे ही हमारे देश में भी हिंदी को उचित स्थान मिलना चाहिए क्योंकि मातृभाषा में ही हमारा सर्वोच्च और सर्वांगीण बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास संभव है। और हिन्दी भाषा ही राष्ट्र के सभी क्षेत्रों में समन्वय बनाने और राष्ट्रीय एकता बनाए रखने में सक्षम है। बस जरूरत है तो अपने बच्चों एवं युवाओं को इसका महत्व समझाने और अपनी भाषा को सम्मान पूर्ण नजरिए से देखने की। इसके लिए हमें खुद से पहल करनी होगी। चलो एक पहल करें हिंदी को न केवल हिंदी दिवस के दिन याद करें बल्कि साल के प्रत्येक दिन अपने घर से ही इसकी शुरुआत करें, अपने बच्चों से हिंदी में ही बात करें और उनको हिंदी भाषा का महत्व एवं विशेषता समझाएं।
✍️ लक्ष्मी भट्ट ( गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश )
कहाँ आजकल हिंदी में बात करते है 👌
जवाब देंहटाएं